रक्स करने का मिला हुक्म जो दरियाओं में
गज़ल रक्स करने का मिला हुक्म जो दरियाओं में हमने खुश हो के भंवर बाँध लिए पाँव में उनको भी है किसी भीगे हुए मंजर की तलाश बूँद तक बो न सके जो कभी सहराओं में ए मेरे हमसफ़रों तुम भी थके हारे हो धूप की तुम तो मिलावट न करो छांव में जो भी आता है बताता है नया कोई ईलाज बँट न जाए तेरा बीमार मसीहाओं में हौसला किसमे है युसुफ़ की खरीदारी का अब तो महंगाई के चर्चे हैं ज़ुलेखाओं में किस बिरहमन ने कहा है कि ये साल अच्छा है उसको दफनाओ मेरे हाथ की रेखाओं में वो ख़ुदा है, किसी टूटे हुए दिल में होगा मस्जिदों में उसे ढूंढो न कलीसाओं में हमको आपस में मोहब्बत नहीं करने देते एक यही ऐब है इस देश के नेताओंं में Posted by : Raees Khan