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Showing posts from November, 2018

रक्स करने का मिला हुक्म जो दरियाओं में

गज़ल रक्स करने का मिला हुक्म जो दरियाओं में हमने खुश हो के भंवर बाँध लिए पाँव में उनको भी है किसी भीगे हुए मंजर की तलाश बूँद तक बो न सके जो कभी सहराओं में ए मेरे हमसफ़रों तुम भी थके हारे हो धूप की तुम तो मिलावट न करो छांव में जो भी आता है बताता है नया कोई ईलाज बँट न जाए तेरा बीमार मसीहाओं में हौसला किसमे  है युसुफ़ की खरीदारी का अब तो महंगाई के चर्चे हैं ज़ुलेखाओं में  किस बिरहमन ने कहा है कि ये साल अच्छा है उसको दफनाओ मेरे हाथ की रेखाओं में वो ख़ुदा है, किसी टूटे हुए दिल में होगा मस्जिदों में उसे ढूंढो न कलीसाओं में हमको आपस में मोहब्बत नहीं करने देते एक यही ऐब है इस देश के नेताओंं में Posted by : Raees Khan 

उसी तरह से हर इक ज़ख्म खुशनुमा देखे

गज़ल / Ghazal उसी तरह से हर इक ज़ख्म खुशनुमा देखे वो आये तो मुझे अब भी हरा भरा देखे गुज़र गए हैं बहुत दिन शब ए हिज्र में इक उम्र हो गई चेहरा वो चाँद सा देखे मेरी खामोशी से जिसको गिले रहे क्या क्या बिछड़ते वक़्त उन आँखों का बोलना देखे तिरे सिवा भी कई रंग खुश नज़र थे मगर जो तुझको देख चुका हो वो और क्या देखे बस एक रेत का ज़र्रा बचा था आँखों में अभी तलक जो मुसाफ़िर का रास्ता देखे तुझे अज़ीज़ था और मैंने उसको जीत लिया मेरी तरफ भी तो इक पल तेरा खुदा देखे Posted by   Raees Khan 

Proud to be an indian

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I Proud to an Indian Raees Khan 

ये पिछले इश्क़ की बातें हैं - Ye pichhle ishq ki baaten hain

नज़्म / Nazm ये पिछले इश्क़ की  बातें हैं जब आँख में ख़्वाब दमकते थे जब दिलों में दाग़ चमकते थे जब पलकें शहर के रस्तों में अश्कों का नूर लुटाती थीं जब साँसें उजले चेहरों की तन मन में फूल सजाती थीं जब चाँद की रिम-झिम किरनें चमकती थी उसके गालों में जब एक तलातुम रहता था अपने बे-अंत ख़यालों में हर अहद निभाने की क़स्में ख़त ख़ून से लिखने की रस्में जब आम थीं हम दिल वालों में अब अपने फीके होंटों पर कुछ जलते बुझते लफ़्ज़ों के याक़ूत पिघलते रहते हैं अब अपनी गुम-सुम आँखों में कुछ धूल है बिखरी यादों की कुछ ख्वाब सुलगते रहते हैं अब धूप उगलती सोचों में कुछ पैमाँ जलते रहते हैं अब अपने वीराँ आँगन में जितनी सुब्हों की चाँदी है जितनी शामों का सोना है उस को ख़ाकिस्तर होना है अब ये बातें रहने दीजे जिस उम्र में क़िस्से बनते थे उस उम्र का ग़म सहने दीजे अब अपनी उजड़ी आँखों में जितनी रौशन सी रातें हैं उस उम्र की सब सौग़ातें हैं जिस उम्र के ख़्वाब ख़याल हुए वो पिछली उम्र थी बीत गई वो उम्र बिताए साल हुए अब अपनी दीद के रस्ते में कुछ रंग है गुज़रे लम्हों का कुछ अश्कों

सुना है आज समंदर को - Suna hai aaj samandar ko

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सुना है आज समंदर को बड़ा गुमान आया है उधर ही ले चलो कश्ती जिधर तूफ़ान आया है रईस खान  Suna hai aaj samandar ko bada gumaan aaya hai Udhar hi le chalo kashti jidhar toofaan aaya hai Raees Khan