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Showing posts from July, 2019

Aise bichhde sabhi - ऐसे बिछङे सभी

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Aise bichhde sabhi raah ke mod par Aakhiri humsafar rasta rah gaya ऐसे बिछङे सभी राह के मोङ पर आखिरी हमसफ़र रास्ता रह गया Posted : Raees khan dudhara

हिज्र में खून रुलाते हो, कहां होते हो - Hijr mein khoon ......

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गज़ल हिज्र में खून रुलाते हो, कहां होते हो लौटकर क्यों नहीं आते हो, कहां होते हो जब भी मिलता है कोई शख्स बहारों जैसा मुझको तुम कैसे भुलाते हो, कहां होते हो याद आती है अकेले में तुम्हारी नींदे किस तरह खुद को सुलाते हो, कहां होते हो मुझसे बिछड़े हो तो महबूब ए नज़र हो किसके ? आजकल किस को मनाते हो, कहां होते हो शब की तन्हाई में अक्सर ये ख्याल आता है अपने दुख किसको सुनाते हो, कहां होते हो मौसम ए ग़ुल में नशा हिज्र का बढ़ जाता है मेरे सब होश चुराते हो, कहांते होते हो तुम तो खुशियों की रफाकत के लिए बिछड़े थे अब अगर अश्क बहाते हो, कहां होते हो शहर के लोग भी अक्सर यही करते हैं सवाल अब बहोत कम नजर आते हो, कहां होते हो Posted by : Raees Khan 

शाम होते ही बिखर गया सूरज Shaam hote hi ....

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कविता / Kavita                       शाम होते ही बिखर गया सूरज सबको हैरान कर गया सूरज मैने रात में चाँद से पूछा ये बतलाओ किधर गया सूरज सबको रोशनी बांटने वाला क्या अंधेरे से डर गया सूरज अपनी गर्मी व उजाला लेकर जाने किसके शहर गया सूरज सुबह की पहली किरण ने चीखा कौन कहता है मर गया सूरज Raees Khan 

उसकी आँखों की बात हो जाये Uski aankhon ki baat ...

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उसकी आँखों की बात हो जाये आज साक़ी शराब रहने दो Uski aankhon ki baat ho jaye Aaj saaqi sharab rahne do Posted by : Raees Khan