रास्ते अच्छे लगे, हमसफ़र अच्छा लगा मंज़िलों को छोड़िये हमें सफर अच्छा लगा एक वो उम्र थी जिस पे कि लानत भेजिये एक वो लम्हा भी था जो उम्र भर अच्छा लगा रईस खान #HumariZaban
ये जो रात में जागा करते हैं हम नींद से धोखा करते हैं कभी चाँद से कभी जुगनू से हम तेरी ही चर्चा करते हैं तन्हाई के हर आलम में बस तुझको सोचा करते हैं इक हकीकत से अंजान बने इक ख्वाब का पीछा करते हैं रईस खान