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ये किसके हाथों में तुमने चमन सौंप दिया : रईस खान

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 बहोत ही बेचैन बेकरार दिखता है जो भी मिलता है सोगवार दिखता है ये किसके हाथों में तुमने चमन सौंप दिया कली-कली में लहू का रसार दिखता है रईस खान

चाँद होगा ना चाँदनी होगी : रईस खान

चाँद होगा ना चाँदनी होगी दिल जलाकर ही रोशनी होगी इन जुगनुओं का साथ भी क्या साथ राह में फिर भी तीरगी होगी उसके चेहरे पे लिखेंगे गज़ल उसकी आँखों पे शायरी होगी फूल खिलने लगे हैं बागों में वो हलके से कहीं हंसी होगी सारा दिन ज़िक्र आपका होगा रात भर बात आपकी होगी एक दिन आप मिल जायेंगे एक दिन साथ ज़िंदगी होगी रईस खान

Anabiya

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 Anabiya Anabiya Anabiya Anabiya Anabiya Anabiya Anabiya Anabiya Anabiya Anabiya

जब दर्द ए दिल का किस्सा पढ़ना

जब दर्द ए दिल का किस्सा पढ़ना तेज़ आवाज़ में ऊँचा पढ़ना उसकी आँखें शेर सुनाती उनमें गज़ल का लहजा पढ़ना सारी रात उसी को लिखना फिर दिन में उसको सारा पढ़ना इश्क के ही इक मकतब में हमने सीखा है लिखना पढ़ना भूल जाओगे सारी किताबें कभी तुम उसका चेहरा पढ़ना रईस खान 

Ramadan Mubarak

 RamadanKareem Ramadan Ramadan2022 रमज़ान मुबारक رمصان مبارک

जितने अपने थे, सब पराये थे : राहत इंदौरी

जितने अपने थे, सब पराये थे हम हवा को गले लगाए थे जितनी कसमें थी, सब थी शर्मिंदा जितने वादे थे, सर झुकाये थे जितने आंसू थे, सब थे बेगाने जितने मेहमां थे, बिन बुलाए थे सब किताबें पढ़ी-पढ़ाई थीं सारे किस्से सुने-सुनाए थे एक बंजर जमीं के सीने में मैंने कुछ आसमां उगाए थे सिर्फ दो घूंट प्यास कि खातिर उम्र भर धूप मे नहाये थे हाशिए पर खड़े हूए है हम हमने खुद हाशिए बनाए थे मैं अकेला उदास बैठा था शाम ने कहकहे लगाए थे है गलत उसको बेवफा कहना हम कौन सा धुले-धुलाए थे आज कांटो भरा मुकद्दर है, हमने गुल भी बहुत खिलाए थे राहत इंदौरी