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Showing posts from October, 2019

क्या है सऊदी अरब का 'विजन-2030'

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सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने 2016 में विजन-2030 नाम से एक महत्वाकांक्षी सुधार योजना की शुरुआत की. इस योजना का मकसद है सऊदी अरब की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाना और तेल से हो रही कमाई पर निर्भरता कम करना. इस दिशा में काम करने के लिए सऊदी अरब ने कई देशों के साथ रणनीतिक हिस्सेदारी की है जिनमें भारत भी एक है सऊदी अरब ने अपने यहां विदेशी निवेश और व्यापार बढ़ाने के लिए अलग अलग स्तर पर कई सुधार किए हैं. हेल्थकेयर और हाउसिंग सेक्टर में निजीकरण से नौकरियों के अवसर बढ़े हैं जिससे विकास दर में अच्छी खासी वृद्धि देखी जा रही है. विजन-2030 का बड़ा उद्देश्य अन्य देशों के साथ साझेदारी कर सऊदी में बिजनेस को बढ़ावा देना है ताकि समृद्धि बढ़ाई जा सके.

रात की ज़ुल्फें बरहम बरहम - Raat ki zulfain barham barham

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रात की ज़ुल्फें बरहम बरहम दर्द की लौ हे मद्धम मद्धम मेरे किस्से गलियों गलियों तेरा चर्चा आलम आलम याकोती होठों पर चमके उसकी आंखें नीलम नीलम पत्थर पत्थर इश्क की रातें हुस्न की बातें रेशम रेशम चेहरा लाल गुलाब का मौसम भीगी पलकें शबनम शबनम एक जज़ा है जन्नत जन्नत एक खता है आदम आदम एक अजाब है बस्ती बस्ती एक सदा है मातम मातम हिज्र के लम्हे ज़ख्मी ज़ख्मी उसकी यादें मरहम मरहम

Stop Dowry

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Stop Dowry #StopDowry Say No To Dowry #SayNoToDowry

Naarwa hai sukhan shikayat ka

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Naarwa hai sukhan shikayat ka Wo nahin tha meri tabiyat ka Dasht mein shaher ho gye aabad Ab zamana nahin hai wahshat ka Waqt hai aur koi kaam nahin Bas maza le raha hun fursat ka Mar gye khwab sabki aankhon ke Har taraf hai gila haqeeqat ka Ab mujhe dhyan hi nahi aata Apne hone ka apni haalat ka Tujhko paakar zyaan huwa humko Tu nahin tha humari qeemat ka Subah se shaam tak meri duniya Ek manzar hai uski rukhsat ka Kya bataon ki zindagi kya thi Khwab tha jaagne ki haalat ka Kahte hain inteha e ishq jise Ik faqat khel hai murawwat ka Zindagi ki ghazal tamaam hui Qaafiya rah gaya MOHABBAT ka Jon Elia

आजा की इंतजार ए नजर हैं कभी से हम

आजा की इंतजार ए नजर हैं कभी से हम मायूस ना हो जाए कहीं जिंदगी से हम ऐ अक्स ज़ुल्फ ए यार हमें तो पनाह दे घबरा के आ गए हैं बड़ी रोशनी से हम बरसों रही है जिनसे रह व रस्म ए दोस्ती उनकी नजर में आज हुए अजनबी से हम उस रौनक ए बहार की महफिल में बैठकर खाते रहे फरेब बड़ी सादगी से हम

Kisi ne bhi mujhe samjha nahin hai

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Kisi ne bhi mujhe samjha nahin hai Ye shikwa hai koi daava nahin hai Tujhe chaha jin waqton mein maine Wo saari umar hai, lamha nahin hain Abhi hai ek mub'ham sa tasawwor Abhi usne mujhe socha nahi hai Chali hai mauj mein kaghaz ki kashti Ise dariya ka andaza nahi hai