तेरी ज़ुल्फ़ों की शरारत नहीं देखी जाती

Hayat Murat

तेरी महफ़िल, मेरी शिरकत नहीं देखी जाती
कई आँखों से ये साअत नहीं देखी जाती
तेरे हाथों की मशक्कत पे तरस आता है
तेरी ज़ुल्फ़ों की शरारत नहीं देखी जाती

Posted by : Raees Khan


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