ये तुम्हारी गली का सरल रास्ता - अमन अक्षर
कविता
अमन अक्षर
ये तुम्हारी गली का सरल रास्ता
हमसे पूछो तो सबसे कठिन राह है
चंद कदमों की दूरी की इस फेर ने
वक्त ने रोज मीलों चलाया हमें
तुम प्रतीक्षा के वो मौन संवाद थे
जिसने दुनिया की भाषा बनाया हमें
हम तो यूँ ही निकल आये खो गए
मन मगर अपनी मर्जी से गुमराह है
ये तुम्हारी गली का सरल रास्ता
हमसे पूछो तो सबसे कठिन राह है
लाख विश्वास हमने संभाले मगर
एक संदेह जाते जमाने लगे
हमें जीवन के दिन थे बंनाने मगर
हम यहां रोज राते कमाने लगे
खुद से कोई वचन जो,निभाया नहीं
एक तुम्हारे वचन का ही निर्वाह है
ये तुम्हारी गली का सरल रास्ता
हमसे पूछो तो सबसे कठिन राह है
Posted by : Raees Khan
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