अब के तज्दीद ए वफा का - Ab ke tajdeed wafa ka
अब के तजदीद ए वफ़ा का नहीं इम्कां जानां
याद क्या तुझको दिलायें तेरा पैमां जानां
यूँ ही मौसम की अदा देख के याद आया है
किस क़दर जल्द बदल जाते हैं इंसां जानां
ज़िंदगी तेरी अता थी सो तेरे नाम की है
हमने जैसे भी बसर की तेरा एहसां जानां
दिल ये कहता है कि शायद है फ़सुर्दा तू भी
दिल की क्या बात करें दिल तो है नादां जानां
अव्वल अव्वल की मोहब्बत के नशे याद तो कर
बे पिये भी तेरा चेहरा था गुलिस्ताँ जानां
आख़िर आख़िर तो ये आलम है कि अब होश नहीं
रग ए मीना सुलग उट्ठी कि रग ए जां जानाँ
मुद्दतों से यही आलम न तवक़्क़ो न उमीद
दिल पुकारे ही चला जाता है जानां-जानां
अब तेरा ज़िक्र भी शायद ही ग़ज़ल में आये
और से और हुए दर्द के उनवाँ जानां
हम कि रूठी हुई रुत को भी मना लेते थे
हमने देखा ही न था मौसम ए हिज्राँ जानां
होश आया तो सभी ख़्वाब थे रेज़ा-रेज़ा
जैसे उड़ते हुए औराक़ ए परेशां जानां
#HumariZaban
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