कहाँ होते हो Kahan hote ho
कहाँ होते हो.... ख्वाब आँखों में बसाते हो, कहाँ होते हो रात भर मुझको जगाते हो, कहाँ होते हो एक अरसे से मुसलसल मुझे तन्हा करके किसकी महफिल को सजाते हो, कहाँ होते हो राह तकती है निगाहें रात के आखिर पहर तक लौट कर क्यों नहीं आते हो, कहाँ होते हो याद आती है तुम्हारी वो रूठ जाने की अदा आज कल किस को मनाते हो, कहाँ होते हो रईस खान