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Showing posts from October, 2020

अब क्या बताएँ टूटे हैं कितने कहाँ से हम : राजेश रेड्डी / Rajesh Reddy

 अब क्या बताएँ टूटे हैं कितने कहाँ से हम ख़ुद को समेटते हैं यहाँ से वहाँ से हम क्या जाने किस जहाँ में मिलेगा हमें सुकून नाराज़ हैं ज़मीं से, ख़फ़ा आसमाँ से हम अब तो सराब ही से बुझाने लगे हैं प्यास लेने लगे हैं काम यक़ीं का गुमाँ से हम लेकिन हमारी आँखों ने कुछ और कह दिया कुछ और कहते रह गए अपनी ज़बाँ से हम आईने से उलझता है जब भी हमारा अक्स हट जाते हैं बचा के नज़र दरमियाँ से हम मिलते नहीं हैं अपनी कहानी में हम कहीं गायब हुए हैं जब से तेरी दास्ताँ से हम  राजेश रेड्डी Posted : Raees khan

फ़क़ीर बन कर तुम उनके दर पर - इब्ने इंशा / ibn e insha

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Ibn e insha फ़क़ीर बन कर तुम उनके दर पर हज़ार धूनि रमा के बैठो जबीं के लिक्खे को क्या करोगे, जबीं का लिक्खा मिटा के देखो ऐ उनकी महफ़िल में आने वालों, ऐ सूदो सौदा बताने वालों जो उनकी महफ़िल में आ के बैठो, तो सारी दुनिया भुला के बैठो बहुत जताते हो चाह हमसे, मगर करोगे निबाह हमसे ज़रा मिलाओ निगाह हमसे, हमारे पहलू में आके बैठो जुनूं पुराना है आशिक़ों का, जो यह बहाना है आशिक़ों का वो इक ठिकाना है आशिक़ों का, हुज़ूर जंगल में जा के बैठो हमें दिखाओ न जर्द चेहरा, लिए यह वहशत की गर्द चेहरा रहेगा तस्वीर-ए-दर्द चेहरा, जो रोग ऐसे लगा के बैठो जनाब-ए-इंशा ये आशिक़ी है, जनाब-ए-इंशा ये ज़िंदगी है जनाब-ए-इंशा जो है यही है, न इससे दामन छुड़ा के बैठो इब्ने इंशा

कहां जिक्र माह ओ अंजुम, कहां रोशनी की बातें

 कहां जिक्र माह ओ अंजुम, कहां रोशनी की बातें यहां सुबह तक रहेंगी यूं ही तीरगी की बातें लो वह जाने अंजुम भी सरे बज़्म आन पहुंचा यहां ज़ेब ए गुफ्तगू थीं अभी आप ही की बातें तेरी आंख से भी होगी कभी बहस कैफ व मस्ती तेरी जुल्फ से सुनेंगे कभी बरहमी की बातें हैं सहीफा ए वफ़ा के यही बाब दो नुमाया मेरी दोस्ती के किस्से तेरी दुश्मनी की बातें तेरा हुस्न एक नगमा वही नगमा ए मोहब्बत मेरे लब पे रक्स करती हुई रोशनी की बातें मुझे मुझसे छीनने की अभी हर अदा वही है वही उनका हुस्न सादा वही सादगी की बातें मेरी दास्तान ए गम पर वह खामोशी बेनयाज़ी कोई जैसे सुन रहा हो किसी अजनबी की बातें

मेरे चारहगर मेरे पास आ

मेरे चारहगर मेरे पास आ मेरे दर्द की दे कोई दवा मेरे आँखों में कोई ख्वाब दे मेरे रतजगे का हिसाब दे इक चाँद रख मेरी शाम पर मेरा दिल जले तेरे नाम पर तुझे गर मिले कभी फुरसतें मुझे हैं बहोत सी शिकायतें पर मुझे और कोई गिला नहीं सिवा इसके कि तू मिला नहीं रईस खान