कभी उनका नाम लेना , Kabhi unka naam lena

 कभी उन का नाम लेना कभी उन की बात करना

मेरा ज़ौक़ उन की चाहत मेरा शौक़ उन पे मरना


वो किसी की झील आँखें वो मेरी जुनूँ-मिज़ाजी

कभी डूबना उभर कर कभी डूब कर उभरना


तेरे मनचलों का जग में ये अजब चलन रहा है

न किसी की बात सुनना, न किसी से बात करना


शब-ए-ग़म न पूछ कैसे तेरे मुब्तला पे गुज़री

कभी आह भर के गिरना कभी गिर के आह भरना


वो तेरी गली के तेवर, वो नज़र नज़र पे पहरे

वो मेरा किसी बहाने तुझे देखते गुज़रना


कहाँ मेरे दिल की हसरत, कहाँ मेरी ना-रसाई

कहाँ तेरे गेसुओं का, तेरे दोश पर बिखरना


चले लाख चाल दुनिया हो ज़माना लाख दुश्मन

जो तेरी पनाह में हो उसे क्या किसी से डरना

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