अव्वल अव्वल की दोस्ती है अभी, Awwal awwal ki dosti hai abhi

अव्वल अव्वल की दोस्ती है अभी

इक गज़ल है कि हो रही है अभी


दिल की दीवानगी है अपनी जगह

फिर भी कुछ एहतेयात सी है अभी


नज़्दीकियां लाख खूबसूरत हों

दूरियो़ में भी दिलकशी है अभी


मैं भी छुप छुप के देखता हूँ उसे

वो भी मुड़ मुड़ के देखती है अभी


Posted by : Raees Khan

Comments

Popular posts from this blog