एक वादा है किसी का जो वफ़ा होता नहीं - Ek vada hai kisi ka jo wafa hota nahin

एक वादा है किसी का जो वफ़ा होता नहीं

वर्ना इन तारों भरी रातों में क्या होता नहीं


जी में आता है उलट दें उन के चेहरे से नक़ाब

हौसला करते हैं लेकिन हौसला होता नहीं


शम्अ जिस की आबरू पर जान दे दे झूम कर

वो पतंगा जल तो जाता है फ़ना होता नहीं


अब तो मुद्दत से रह व रस्म ए नज़ारा बंद है

अब तो उन का तूर पर भी सामना होता नहीं


हर शनावर को नहीं मिलता तलातुम से ख़िराज

हर सफ़ीने का मुहाफ़िज़ नाख़ुदा होता नहीं


हर भिकारी पा नहीं सकता मक़ाम-ए-ख़्वाजगी

हर कस-ओ-ना-कस को तेरा ग़म अता होता नहीं


हाए ये बेगानगी अपनी नहीं मुझ को ख़बर

हाए ये आलम कि तू दिल से जुदा होता नहीं


बारहा देखा है 'साग़र' रहगुज़ार इश्क़ में

कारवाँ के साथ अक्सर रहनुमा होता नहीं


Posted by : Raees Khan

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