एक पहुँचा हुआ मुसाफ़िर है - Ek pahoncha huwa musafir hai
एक पहुँचा हुआ मुसाफ़िर है
दिल भटकने में फिर भी माहिर है
कौन लाया है इश्क़ पर ईमाँ
मैं भी काफ़िर हूँ तू भी काफ़िर है
दर्द का वो जो हर्फ़ ए अव्वल था
दर्द का वो ही हर्फ़ ए आख़िर है
काम अधूरा पड़ा है ख़्वाबों का
आज फिर नींद ग़ैर-हाज़िर है
Posted by : Raees Khan
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