तुम्हारे ग़म से तौबा कर रहा हूँ - Tumhare gham se tauba kar raha hun
तुम्हारे ग़म से तौबा कर रहा हूँ
तअज्जुब है मैं ऐसा कर रहा हूँ
बहुत से बंद ताले खुल रहे हैं
तेरे सब ख़त इकट्ठा कर रहा हूँ
कोई तितली निशाने पर नहीं है
मैं बस रंगों का पीछा कर रहा हूँ
मैं रस्मन कह रहा हूँ ''फिर मिलेंगे''
ये मत समझो कि वादा कर रहा हूँ
Posted by : Raees Khan
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