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Showing posts from September, 2019

Kab mahakti hai bhala - कब महकती है भला

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Kab mahakti hai bhala raat ki raani din mein Shaher soye to teri yaad ki khushbu jaage कब महकती है भला रात की रानी दिन में  शहर सोये तो तेरी याद की खुशबू जागे

एक नज़र के बदले मंज़र छोड़ दिए

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एक नज़र के बदले मंज़र छोड़ दिए बूँद मिली तो सात समंदर छोड़ दिए तेरे बाद के सावन की हर बारिश ने दिल के खास इलाके बंजर छोड़ दिए जाते-जाते उसने दिल की नदी से पानी साथ लिया और पत्थर छोड़ दिए बोझ ज्यादा होने के अंदेशे से एक मुसाफिर तितली ने पर छोड़ दिए ख्वाब नगर का नक्शा लेकर आंखों में बसे बसाए लोगों ने घर छोड़ दिए जुल्मत के वह बागी थे जिन लोगों ने हक की खातिर अपने लश्कर छोड़ दिए

Suna hai din mein usy

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سنا ہے دن میں اسے تتلیاں  ستاتی ہیں سنا ہے رات میں جگنو ٹھہر کے دیکھتے ہیں Suna hai Din mein usy Titliyan satati hain Suna hai Raat mein Jugnu thehar ke dekhte hain

Bhale dino ki baat hai, bahli si ek shakl thi

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Bhale dino ki baat hai, bahli si ek shakl thi Na ye ki husn e jaam si, na dekhne me aam si Na ye ki wo chale to, kahkasha'n si rahguzar lage Magar wo saath ho to phir, bhala bhala safar lage Koi bhi rut ho uski ada, fiza ka rang o roop thi Wo garmiyon ki chhaao'n thi, wo sardiyon ki dhoop thi Na muddaton juda rahe, na saath subah o sham ho Na rishta e wafa pe zid, na ye ki izn e aam ho Na aisi khush libasiya'n ki saadgi gila kare Na itni betakallufi, ki aaina haya kare Na aashiqi junoon ki, ki zindagi azaab ho Na is kadar kathorpan, ki dosti kharab ho Ajnabi sa tha rishta usse, aashna si uski dosti Ab uski yaad raat din ! Nahi magar......kabhi kabhi

ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा

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ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा क़ाफ़िला साथ और सफ़र तन्हा अपने साए से चौंक जाते हैं उम्र गुज़री है इस क़दर तन्हा रात भर बातें करते हैं तारे रात काटे कोई किधर तन्हा डूबने वाले पार जा उतरे नक़्श-ए-पा अपने छोड़ कर तन्हा दिन गुज़रता नहीं है लोगों में रात होती नहीं बसर तन्हा

Baat to rooh ki ho rahi thi

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Ye kisse to the dilo ke qisse Ishq ki ye dastan kahan le aaye Baat to rooh ki ho rahi thi Tum kyon jism ko darmiyan le aaye

Tum Haqeeqat Nahin Ho Hasrat Ho

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Tum Haqeeqat Nahin Ho Hasrat Ho Jo Mile Khwaab Mein woh Daulat Ho Main Tumhare Hi Dam Se Zinda Hun Mar Hi Jaaun Jo Tum Se Fursat Ho Tum Ho Khushbu Ke Khwaab Ki Khushbu Aur Utni Hi, Be-Murawwat Ho Tum Ho Pahlu Mein Par Qaraar Nahin Yani Aisa Hai Jaise Furqat Ho Tum Ho Angdaai Rang-O-Nikhat Ki Kaise Angdaai Se Shikaayat Ho Kis Tarah Chhod Doon Tumhein Jaana Tum Meri Zindagi Ki Aadat Ho Kis Liye Dekhti Ho Aaina Tum To Khud Se Bhi Khoobsurat Ho Daastaan Khatm Hone Waali Hai Tum Meri Aakhri Muhabbat Ho

Kitni dilkash ho tum - कितनी दिलकश हो तुम

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कितनी दिलकश हो तुम कितना दिलजूं हूँ मैं क्या सितम है कि हम लोग भी मर जायेंगे  کتنی دلکش ہو تم کتنا دل جوں ہوں میں کیا ستم ہے کہ ہم لوگ بھی مر جائینگے

शबनम के आँसू फूल पर ! - Shabnam ke aansu phool par !

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शबनम के आँसू फूल पर ! ये तो वही क़िस्सा हुआ  आँखें मेरी भीगी हुई चेहरा तेरा उतरा हुआ  अब इन दिनों मेरी ग़ज़ल ख़ुशबू की इक तस्वीर है  हर लफ़्ज़ ग़ुंचे की तरह खिल कर तेरा चेहरा हुआ  शायद उसे भी ले गए अच्छे दिनों के क़ाफ़िले  इस बाग़ में इक फूल था तेरी तरह हँसता हुआ  हर चीज़ है बाज़ार में इस हाथ दे उस हाथ ले  इज़्ज़त गई शोहरत मिली रुस्वा हुए चर्चा हुआ मंदिर गए मस्जिद गए पीरों फ़क़ीरों से मिले  इक उस को पाने के लिए क्या क्या किया क्या क्या हुआ अनमोल मोती प्यार के दुनिया चुरा कर ले गई दिल की हवेली का कोई दरवाज़ा था टूटा हुआ

जब तलक खौफ ए हवा रहता है - Jab talak khauf e hawa rahta hai

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उसकी  आंखों  से  दगा  मत  करना  उसकी   आंखों   में  खुदा  रहता  है जब  तलक  खौफ  ए  हवा  रहता  है दिल   अंधेरों   में   पड़ा   रहता   है उसकी  आंखों  से  दगा  मत  करना उसकी   आंखों   में  खुदा  रहता  है वक्त  है  देख  लो  जी  भर  के  उसे क्या  खबर  बाद  में  क्या  रहता  है इश्क   की   खास   करामत   यह   है जो   नहीं   रहता   !   सदा   रहता   है तुम  वही  दरिया  हो  ना ! जो  अक्सर मेरी   आंखों   में   भरा   रहता   है अश्क  वो  है  जो  बहाए  बस  दिल ज़ख्म   वह   है   जो   हरा   रहता  है नहीं   भूला  ये  दिल  अभी  तक  उसको अभी  तक  इस  में  वो  बेवफा  रहता  है

Khat ke chhote se tarashe mein nahin aayenge - खत के छोटे से तराशे में नहीं आएंगे

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Khat ke chhote se tarashe mein nahi aayenge Gham zyada hain lifafe mein nahi aayenge Mukhtasir waqt mein ye baat ho nahi sakti Dard itne hain khulase mein nahi aayenge Uski kuchh khair khabar ho to batao yaaro Hum kisi aur dilaase mein nahi aayenge Jis tarah aapne beemar se rukhsat li hai Saaf lagta hai janaze mein nahi aayenge

इतनी मुद्दत बाद मिले हो - Itni muddat baad mile ho

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इतनी मुद्दत बाद मिले हो किन सोचों में गुम फिरते हो हर आहट पे चौक जाते हो इतने सहमे क्यूँ रहते हो में दरिया से भी डरता हूँ तुम दरिया से भी गहरे हो कौन सी बात है तुम में ऐसी इतने अच्छे क्यूँ लगते हो कहने को रहते हो दिल में फिर भी कितने दूर खड़े हो रात हमें कुछ याद नहीं था रात बहुत ही याद आए हो हम से न पूछो हिज्र के क़िस्से अपनी कहो अब तुम कैसे हो जाओ जीत का जश्न मनाओ मैं झूठा हूं तुम सच्चे हो Posted by : Raees Khan

ये पिछले इश्क़ की बातें हैं - Ye pichhle ishq ki baaten hain

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ये पिछले इश्क़ की बातें हैं जब आँख में ख़्वाब दमकते थे जब दिलों में दाग़ चमकते थे जब पलकें शहर के रस्तों में अश्कों का नूर लुटाती थीं जब साँसें उजले चेहरों की तन मन में फूल सजाती थीं जब चाँद की रिम-झिम किरनों से सोचों में भँवर पड़ जाते थे जब एक तलातुम रहता था अपने बे-अंत ख़यालों में हर अहद निभाने की क़स्में ख़त ख़ून से लिखने की रस्में जब आम थीं हम दिल वालों में अब अपने फीके होंटों पर कुछ जलते बुझते लफ़्ज़ों के याक़ूत पिघलते रहते हैं अब अपनी गुम-सुम आँखों में कुछ धूल है बिखरी यादों की कुछ गर्द-आलूद से मौसम हैं अब धूप उगलती सोचों में कुछ पैमाँ जलते रहते हैं अब अपने वीराँ आँगन में जितनी सुब्हों की चाँदी है जितनी शामों का सोना है उस को ख़ाकिस्तर होना है अब ये बातें रहने दीजे जिस उम्र में क़िस्से बनते थे उस उम्र का ग़म सहने दीजे अब अपनी उजड़ी आँखों में जितनी रौशन सी रातें हैं उस उम्र की सब सौग़ातें हैं जिस उम्र के ख़्वाब ख़याल हुए वो पिछली उम्र थी बीत गई वो उम्र बिताए साल हु