अभी इस तरफ ना निगाह कर - Abhi is taraf na nigah kar

अभी इस तरफ़ न निगाह कर मैं ग़ज़ल की पलकें सँवार लूँ
मेरा लफ़्ज़ लफ़्ज़ हो आईना तुझे आइने में उतार लूँ

मैं तमाम दिन का थका हुआ तू तमाम शब का जगा हुआ
ज़रा ठहर जा इसी मोड़ पर तेरे साथ शाम गुज़ार लूँ

अगर आसमाँ की नुमाइशों में मुझे भी इज़्न-ए-क़याम हो
तो मैं  सितारों की दुकान से तेरी बालियाँ तेरे हार लूँ

कई अजनबी तेरी राह में मेरे पास से यूँ गुज़र गए
जिन्हें देख कर ये तड़प हुई  तेरा   नाम   लेकर   पुकार   लूं

Posted by : Raees Khan

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