अव्वल अव्वल की दोस्ती है अभी - Awwal awwal ki dosti hai abhi


अव्वल अव्वल की दोस्ती है अभी
इक गज़ल है कि हो रही है अभी

मैं भी शहर ए वफा में हुँ नया नया
वो भी रुक रुक के चल रही है अभी

दिल की दीवानगी है अपनी जगह
फिर भी कुछ एहतेयात सी है अभी

नज़्दीकियां लाख खूबसूरत हों
दूरियो़ में भी दिलकशी है अभी

मैं भी छुप छुप के देखता हूँ उसे
वो भी मुड़ मुड़ के देखती है अभी

Posted by : Raees Khan

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